जय सरस्वती जय भारती
 हिमगिरि श्रृंगों पर है राजती 
अविरल गंगा पद पखारती 
छवि छटा बिखारती । जय ।।
                
                    करें सम्मान गुरू दीक्षा का
 जीवन के उच्च आदर्शों का
 सूर्य उदय हो ज्ञान तत्व का
 रहे धरा निहारती । जय ।।
                
                    सृजन गीत से करें याचना
 नव निर्माण राष्ट्र कामना
 कर्मठ जीवन व्रत उपासना 
धरती यही गुहारती। जय ।।
                
                    कम्प्यूटर जानपद यांत्रिकी 
विद्युत तरंग अभियांत्रिकी 
बहुयामी शिक्षा मानविकी
 सजग राष्ट्र की आरती । जय ।।
                
                    करें 'कन्हैया' का आराधन
 ज्ञान भक्ति अरू शक्ति वर्धन
 कर्मयोगी 'ईश्वर' का सुमिरन 
धरा सृष्टि उर वारती । जय ।।
                
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