जीवन परिचय
स्व. राय साहब कन्हैयालाल जी (शिक्षा प्रेमी)
विद्यालय के संस्थापक राय साहब कन्हैया लाल जी का जन्म श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के पर्व पर रुड़की निवासी श्री गणेश लाल जी के घर पर सन् १८७० में हुआ था । इस पर्व के नाम पर ही उनका नाम कन्हैया लाल रखा गया था । श्रीकृष्ण जी का एक नाम कन्हैया भी कहा जाता है। आपका पैतृक निवास अम्बर तलाब रुड़की में आज भी मस्जिद अली गली में स्थित है। आप सन् 1890 से ठेकेदारी व्यवसाय के निर्माण कार्यों में संबंध रहे । सन् 1933 तक अपने निर्माण कार्यों के व्यवसाय को कुशलता पूर्वक उच्च शिखर तक पहुंचा तथा अपने परिश्रम एवं सर्जनात्मक बुद्धिमत्ता से बहुत यश तथा संपत्ति अर्जित की। अपनी लोकप्रिय छवि के कारण आप सन् 1924 में बनाई गई रुड़की कैंटोनमेंट बोर्ड की प्रथम समिति के माननीय सदस्य रहे। अपने डी ए वी स्कूल जो कि उस समय धना भाव के कारण बंद होने की कगार पर था ,की सन् 1935 में पुनर्स्थापना की। उस समय विद्यालय के पास ना तो भवन था और न हीं अध्यापकों को वेतन देने के लिए धन था। रोजाना के आवश्यक व्यय के लिए भी पर्याप्त धनराशि विद्यालय के पास नहीं थी । आप स्वयं एक विद्या प्रेमी थे। आप शिक्षा के महत्व को जानते थे। आपने सन् 1935 में विद्यालय को अपना नाम देकर अपने निवास स्थान गणेश वाटिका में पुनर्स्थापित किया। शिक्षा दान को एक महादान मानते हुए अपने सन् 1936 में अपनी समस्त संपत्ति एवं धन भारत की भावी पीढ़ी के कल्याणार्थ शिक्षा के क्षेत्र में समर्पित कर दी। डी ए वी स्कूल नाम के उस एक छोटे से बीज को शिक्षा के प्रति अपने अगाध समर्पण के कारण इंटरमीडिएट स्तर तक पल्लवित एवं पोषित किया।
देश की आजादी के बाद राष्ट्र की प्रगति के लिए तकनीकी तथा विज्ञान की शिक्षा अत्यंत आवश्यक थी । आपने इस आवश्यकता को देखते हुए सन् 1956 में कन्हैयालाल बहुधंधी संस्थान की स्थापना की। तत्पश्चात समय की मांग को देखते हुए अपने सन् 1962 में कन्हैयालाल डी ए वी डिग्री कॉलेज की स्थापना की । आपके इस अथक प्रयास, त्याग तथा तपस्या के कारण विगत कई दशकों से इन संस्थाओं से प्रतिवर्ष हजारों छात्र शिक्षा पूर्ण कर विश्व के कोने-कोने में विभिन्न संस्थाओं में अपनी सेवाएं देकर भारत का नाम उज्जवल रहे हैं।
आपका जीवन धर्मनिरपेक्षता का एक जीवंत उदाहरण रहा है। उनका सम्पूर्ण जीवन अपने धार्मिक तथा करुणामय व्यवहार के कारण वे समाज के प्रत्येक वर्ग के स्त्रियों, पुरुषों , बच्चों , विधवा स्त्रियों तथा गरीब कन्याओं के विवाह आदि में तन मन धन से यथा समय सहायता करते रहे । आज भी लोग उनको संपूर्ण श्रद्धा से याद करते हैं। रुड़की नगर का इतिहास राय साहब कन्हैया लाल जी के आदर्शों के बिना अधूरा समझा जायेगा|
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