जीवन परिचय
स्व. राय साहब कन्हैयालाल जी (शिक्षा प्रेमी)
रुड़की नगर में शिक्षा के लिए तीन महत्वपूर्ण संस्थाएं हैं के. एल. डी. ए. वी इण्टर कालेज, के. एल. डी. ए.वी. (पी. जी.) कालेज और के. एल. पोलिटेक्निक इंस्टीट्यूट तीनो संस्थाओं के सामने एक नाम जुड़ा है कन्हैया लाल ! यह व्यक्ति और कोई नहीं, स्व. राय साहब कन्हैयालाल है जिन्होंने 1936 में कन्हैयालाल ट्रस्ट की स्थापना की और उसी के द्वारा ये तीनों संस्थाएं स्थापित हुई थी।
कन्हैयालाल जी का जन्म श्री गणेशी लाल जी के घर जसौला, जिला मुजफ्फरनगर में सन् 1870 की कृष्ण जन्माष्टमी के दिन हुआ था, इसलिये उनका नाम कन्हैयालाल रखा गया। उनके पिता एक साधारण राजवंशी घराने से थे और रुड़की शहर में आकर ठेकेदारी करने लगे थे। श्री गणेशी लाल जी की मृत्यु तब हो गयी जब कन्हैयालाल जी मात्र 16 वर्ष के थे।
कन्हैयालाल जी ने पिता के कार्य को संभाला और आय के स्रोत बढ़ा लिए। आर्यसमाजी विचारधारा का उन पर पर्याप्त प्रभाव था। वे अत्यन्त सज्जन प्रकृति के थे। समाजसेवी और जनप्रिय व्यक्ति थे। सहायता के लिए आया कोई भी व्यक्ति उनके घर से खाली हाथ वापिस नहीं जाता था। नाश्ते के बाद वे दोपहर तक मरीजों की आंखो में दवा डालते थे।
कन्हैयालाल जी समाज के प्रतिष्ठित व्यक्ति थे इसलिए सरकार ने उन्हें राय साहब की उपाधि से अलंकृत किया था। राजवंशी समाज के वे सिरमौर थे। 1951 तक वे रुड़की की राजवंशी सभा के प्रधान रहे अनेकों राजवंशी परिवारों की उन्होंने सहायता की तथा उनकी कन्याओं के विवाह करवाये।
उन्होंने डी. ए. वी. मिडिल स्कूल जो आर्थिक स्थिति के कारण बन्द होने जा रहा था, को अपना लिया और उसे हाई स्कूल बनवाया। 1953 में कन्हैयालाल टैक्निकल इंस्टीट्यूट की स्थापना की गई। कुछ समय बाद 1963 में सरकार ने उसे अपने अधीन ले लिया और उसका नाम कन्हैयालाल पॉलिटेक्निक रख दिया। 1960 में रुड़की में बी. एस-सी. और बी. एड. के लिए के. एल. डी. ए. वी. डिग्री कालेज की स्थापना की आर्य समाज से वे प्रभावित थे अतः ज्वालापुर वानप्रस्थ आश्रम में अपने नाम के कमरे बनवाये राजवंशी परिवारों में ऐसे दानवीर पुरुष का नाम उल्लेखनीय है।
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